Kumar Vishwas Shayari – Kumar Vishwas is a well-known name in the Hindi poetry world, the poetries written by him are liked by every person. He has performed not only in India but also in foreign countries like Dubai, USA, Japan, and more. I am really sure that you will be amazed after reading his poetry. If you like our collection of 100+ best Kumar Vishwas Shayari then please make sure to share it with your friends, and family.
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उम्मीदों का फटा पैरहन, रोज़-रोज़ सिलना पड़ता है, तुम से मिलने की कोशिश में, किस-किस से मिलना पड़ता है.।
मैं तो झोंका हूँ हवाओं का उड़ा ले जाऊँगा, जागती रहना तुझे तुझ से चुरा ले जाऊँगा।
तुम ग़ज़ल बन गयी, गीत में ढल गयी, मंच से मैं तुम्हे गुनगुनाता रहा।
दिल के तमाम ज़ख्म, तेरी हाँ से भर गए, जितने कठिन थे रास्ते वो सब गुजर गए।
जब भी मुँह ढक लेता हूँ, तेरे जुल्फों की छाओ में, कितने गीत उतर आते हैं, मेरे मन के गाँव में।
मिलते रहिये कि मिलते रहने से, मिलते रहने का सिलसिला हूँ मैं।
Kumar Vishwas Shayari Selected Collection
Tum agar raag maala bano to sahi,
Ek paawan shiwala bano to sahi,
Log padh lenge tum se shabak pyaar ka,
Preet ki paathsala bano to sahi.
तुम अगर राग माला बनो तो सही,
एक पावन शिवाला बनो तो सही,
लोग पढ़ लेंगे तुमसे शबक प्यार का,
प्रीत की पाठशाला बनो तो सही।
Koi deewana kheta hai, koi pagal samajhta hai,
Magar dharti ki bechaini ko bas badal samajhta hai,
Main tujhse door kaisa hoon, tu mujhse door kaisi hai,
Ye tera dill samajhta hai ya mera dill samajhta hai.
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है,
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है,
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है,
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है।
Hamara sher sun ka bhi jo khamosh itna hai,
Khuda jaane gurur-e-hushn me madhosh kitna hai,
Kisi pyaale se poocha hai surahi me sabab mai ka,
Jo khud behosh ho wo kya batae hosh kitna hai.
हमारे शेर सुन कर भी जो खामोश इतना है,
खुदा जाने गुरूर-ए-हुस्न में मदहोश कितना है,
किसी प्याले से पुछा है सुराही मैं सबब में का,
जो खुद बेहोश हो वो क्या बताये होश कितना है।
Panaahon me jo aaya ho to use par waar kya karna,
Jo dill hara hua ho us pe fir adhikaar kya karna,
Mohobbat ka maza to doobne ki kashmakash me hain,
Jo ho maalum gehrai to dariya paar kya karna.
पनाहों में जो आया हो, तो उस पर वार क्या करना,
जो दिल हारा हुआ हो उस पे फिर अधिकार क्या करना,
मुहब्बत का मजा तो डूबने की कशमकश में है,
जो हो मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना।
सदा तो धूप के हाथों में ही परचम नहीं होता,
खुशी के घर में भी बोलों कभी क्या गम नहीं होता,
फ़क़त इक आदमी के वास्तें जग छोड़ने वालो,
फ़क़त उस आदमी से ये ज़माना कम नहीं होता।
Na paane ki khushi hai kuch, na khone ka hi kuch gham hai,
Ye daulat aur sohrat sirf kuch jakhmo ka marham hai,
Ajab si kashmakash hai roj jeene, roj marne me,
Mukammal zindgi to hai, magar puri se kuch kam hai.
ना पाने की खुशी है कुछ,ना खोने का ही कुछ गम है,
ये दौलत और शौहरत सिर्फ कुछ जख्मों का मरहम है,
अजब सी कशमकश है रोज जीने, रोज मरने में,
मुक्कमल जिंदगी तो है, मगर पूरी से कुछ कम है।
Mera apna tajurba hai tumhe batlaa raha hoon main,
Koi lab choo gaya tha tab ki ab tak gaa raha hoon main,
Bichad ke tum se ab kaise jiya jaae bina tadpe,
Jo main khud hi nahi samjha wahi samjha raha hoon main.
मेरा अपना तजुर्बा है तुम्हे बतला रहा हूँ मैं
कोई लब छू गया था तब के अब तक गा रहा हु मैं,
बिछुड़ के तुम से अब कैसे जिया जाए बिना तड़पे,
जो में खुद हे नहीं समझा वही समझा रहा हु मैं।
Har ikk khone har ikk paane me teri yaad aati hai,
Namak aankhon me ghul jaane me teri yaad aati hai,
Teri amrit bhari lehron ko kya maalum ganga maa,
Samandar paar veerane me teri yaad aati hai.
हर इक खोने में हर इक पाने में तेरी याद आती है,
नमक आँखों में घुल जाने में तेरी याद आती है,
तेरी अमृत भरी लहरों को क्या मालूम गंगा माँ,
समंदर पार वीराने में तेरी याद आती है।
जिस्म का आखिरी मेहमान बना बैठा हूँ,
एक उम्मीद का उन्वान बना बैठा हूँ,
वो कहाँ है ये हवाओं को भी मालूम है मगर,
एक बस में हूँ जो अनजान बना बैठा हूँ।
Best Dr. Kumar Vishwas Shayari In Hindi
Koi manzil nahi jachti, safar accha nahi lagta,
Agar ghar laut bhi aaun, to ghar accha nahi lagta
Karu kuch bhi main ab duniya ko sab accha hi lagta hai,
Mujhe kuch bhi tumhare bin mujhe accha nahi lagta.
कोई मंजिल नहीं जंचती, सफर अच्छा नहीं लगता,
अगर घर लौट भी आऊ, तो घर अच्छा नहीं लगता,
करूं कुछ भी मैं अब दुनिया को सब अच्छा ही लगता है,
मुझे कुछ भी तुम्हारे बिन मगर अच्छा नहीं लगता।
Jab bhi muh dhak leta hoon, tere julfon ki chaon me,
Kitne geet utar aate hain, mere man ke gaao me.
जब भी मुँह ढक लेता हूँ, तेरे जुल्फों की छाओ में,
कितने गीत उतर आते हैं, मेरे मन के गाँव में।
Main tumhe dhoondhne swarg ke dwaar tak,
Roja jata raha, roj aata raha,
Tum ghajal ban gayi, geet me dhal gayi,
Manch se main tumhe gungunata raha.
मैं तुम्हे ढूंढने स्वर्ग के द्वार तक,
रोज जाता रहा रोज, आता रहा,
तुम ग़ज़ल बन गयी गीत में ढल गयी,
मंच से मैं तुम्हे गुनगुनाता रहा।
Waqt ke kroor chal ka bharosha nahi,
Aaj jee lo kal ka bharosha nahi,
De rahe hai wo agle janam ki khabar,
Jinko agle hi pal ka bharosha nahi.
वक़्त के क्रूर छल का भरोसा नहीं,
आज जी लो कल का भरोसा नहीं,
दे रहे हैं वो अगले जन्म की खबर,
जिनको अगले ही पल का भरोसा नहीं।
Wo jiska teer chupke se jigar ke paar hota hai,
wo koi gair kya, apna hi rishtedaar hota hai,
Kisi se apne dill ki baat tu kehna na bhoole se,
Yaha khat bhi thodi der me akhbaar hota hai.
वो जिसका तीर चुपके से जिग़र के पार होता है,
वो कोई ग़ैर क्या, अपना ही रिश्तेदार होता है,
किसी से अपने दिल की बात तू कहना न भूले से,
यहाँ खत भी थोड़ी देर में अखबार होता है।
कोई खामोश है इतना, बहाने भूल आया हूँ,
किसी की इक तरनुम में, तराने भूल आया हूँ,
मेरी अब राह मत तकना कभी ए आसमां वालो,
मैं इक चिड़िया की आँखों में, उड़ाने भूल आया हूँ।
Usi ki tarah mujhe sara jamana chahe,
Woh mera hone se jyada mujhe pana chahe,
Meri palkon se fisal jaata hai chehra tera,
Yeh musafir to koi thikaanaa chahe.
उसी की तरह मुझे सारा जमाना चाहे,
वो मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे,
मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा,
यह मुसाफिर तो कोई ठिकाना चाहे।
Baat unchi thi magar baat jara kam aanki,
Usne jajbaat ki aukaat jara kam aanki,
Wo farishtaa keh kar mujhe jaleel karta raha,
Main insaan hoon, meri jaat jara kam aanki.
बात ऊँची थी, मगर बात जरा कम आंकी,
उसने जज्बात की औकात जरा कम आंकी,
वो फरिश्ता कह कर मुझे जलील करता रहा,
मैं इंसान हूँ, मेरी जात जरा कम आंकी।
Wo jo khud me se kam nikalte hain,
Unke jehno me bam nikalte hain,
Aap me kaun kaun rehta hain,
Ham me to sirf ham nikalte hain.
वो जो खुद में से कम निकलते हैं,
उनके ज़ेहनों में बम निकलते हैं,
आप में कौन कौन रहता है,
हम में तो सिर्फ हम निकलते हैं।
Dr. Kumar Vishwas Shayari On Love
Ye waqt bohot hi naajuk hai,
Ham par hamle dar hamle hai,
Dushman ka dard yahi to hai,
Ham har hamle par sambhle hai.
ये वक़्त बोहोत ही नाजुक है,
हम पर हमले दर हमले हैं,
दुश्मन का दर्द यही तो है,
हम हर हमले पर संभले हैं।
Tumhare pass hoon lekin jo doori hai samajhta hoon,
Tumhare bin meri hashti adhoori hai samajhta hoon,
Tumhe main bhool jaaunga ye mumkin hai nahi lekin,
Tumhi ko bhoolna sabse jaroori hai samajhta hoon.
तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है समझता हूँ,
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ,
तुम्हे मैं भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नहीं लेकिन,
तुम्ही को भूलना सबसे जरूरी है समझता हूँ।
Khud se bhi mil na sako, itne paas mat hona,
Ishq to karna, magar devdaas mat hona,
Dekhna, chahna, fir maangna, ya kho dena,
Ye saare khel hain, inme udaas mat hona.
खुद से भी मिल न सको, इतने पास मत होना,
इश्क़ तो करना, मगर देवदास मत होना,
देखना, चाहना, फिर माँगना, या खो देना,
ये सारे खेल हैं, इनमे उदास मत होना।
Har vivash aankh ke aansu ko,
Yun hi hans hans kar peena hoga,
Main kavi hoon, jab tak peeda hai,
Tab tak mujhko jeena hoga.
Main uska hoon, wo is ahesas se inkaar karta hai,
Bhari mehfil me bhi ruswa mujhe har baar karta hai,
Yakeen hai saari duniya ko khafa hai mujhse wo lekin,
Mujhe maalum hai fir bhi mujhi se pyar karta hai.
मैं उसका हूँ वो इस एहसास से इनकार करता है
भरी महफ़िल में भी रुसवा मुझे हर बार करता है
यकीं है सारी दुनिया को, खफा है मुझसे वो लेकिन
मुझे मालूम है फिर भी मुझी से प्यार करता है।
Koi patthar ki murat hai, kisi patthar me murat hai,
Lo hamne dekh li duniya, jo itni khoobsurat hai,
Jamana apni samjhe par, mujhe apni khabar yeh hai,
Tujhe meri jaroorat hai, mujhe teri jarurat hai.
कोई पत्थर की मूरत है, किसी पत्थर में मूरत है
लो हमने देख ली दुनिया, जो इतनी खुबसूरत है
जमाना अपनी समझे पर, मुझे अपनी खबर यह है
तुझे मेरी जरुरत है, मुझे तेरी जरुरत है।
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